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करोड़पति / तोताराम ढौंडियाल 'जिग्यांसु'
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नैतिकतौ झन्डा फैरान्दा फैरान्दा;
जिन्दगिकि रुम्कां तक् बि;
एक नेतण तक नि जोड़ि पायो नैतिक-
स्यो आकन्ठ कर्जम् डूबिक् मोर्गे!
अर् ब्यालौ समाज-सेवक;
आज; करोड़पति ह्वैगे!!