भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं हिन्‍दू हूँ / कुमार मुकुल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 7 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल }} मैं<br> हिन्‍दू हूँ<br> इसलिए <br> वे <br> मुसलमान ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं
हिन्‍दू हूँ
इसलिए
वे
मुसलमान और ईसाई हैं
जैसे
मैं चर्मकार हूँ
इसलिए वे
बिरहमन या दुसाध हैं

आज हमारा होना
देश-दिशा के अलगावों का सूचम नहीं
हम इतने एक से हैं
कि आपसी घृणा ही
हमारी पहचान बना पाती है
मोटा-मोटी हम
जनता या प्रजा हैं
हम
सिपाही पुजारी मौलवी ग्रंथी भंगी
चर्मकार कुम्‍हार ललबेगिया और बहुत कुछ हैं
क्‍योंकि हम
डॉक्‍टर इंजीनियर नेता वकील कलक्‍टर
ठेकेदार कमिश्‍नर कुछ भी नहीं हैं

उनके लिए क्‍लब हैं
पांच सितारा होटल हैं
एअर इंडिया की सेवाएं हैं

हमारे लिए
मंदिर - मस्जिद - गिरजा
पार्क और मैदान हैं
मार नेताओं के नाम पर
और उनमें ना अंट पाने के झगडे हैं

हम आरक्षित हैं
इसलिए हमें आरक्षण मिलता है
मंदिरों - मस्जिदों - नौकरियों में
जहां हम भक्ति और योग्‍यता के आधार पर नहीं
अक्षमताओं के आधार पर
प्रवेश पाते हैं
और
बादशाहों और गुलामों के
प्‍यादे बन जाते हैं।