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आझ अबीर गुलाल उड़ा लऽ / सच्चिदानंद प्रेमी
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आझ अबीर गुलाल उड़ा लऽ।
फाग-राग-उच्छाह भरल दिल
चू-चू हो गेल खाली
कहाँ छिपल हऽ प्रान प्रिये तू
दरसन दे दऽ हाली
माजर बढ़ के होलो टिकोरा
कनखी डेरा डालऽ