Last modified on 13 अप्रैल 2018, at 14:33

याद रखना / आदर्श सिंह 'निखिल'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:33, 13 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आदर्श सिंह 'निखिल' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मिथ्य जुगनू चाँद तारे क्षितिज अम्बर सिंधु सरिता
पुष्प उपवन भ्रमर तितली बदलते मौसम गुलाबी
मेघ पुरवा मोर कोकिल रात दिन या भोर शामें
सब लिखा ही जा चुका जब फिर भला आवृत्तियाँ क्यों
तात नूतन बिम्ब लेकर यदि रचोगे गीत कोई
रागिनी स्वर में स्वयं गायन करेगी, याद रखना।

उर्वशी या मेनका के रूप से आबिद्ध चिंतन
राधिका के प्रेम पर आकर विसर्जित ही हुआ है
रूप जीवनदायिनी के रूप से आंका सदा ही
कल्पना का पृष्ठ अब तक लेखनी से अनछुआ है
तोड़ मानस की हदें अर्जित मधुर आसव बिखेरो
तब परागों सी खुशी कण कण झरेगी, याद रखना।

युद्ध के अवरुद्ध पथ से बुद्ध के बोधत्व तक सब
शब्द चित्रों में कथानक रेशमी अलिखित कलाएं
आंसुओं के उपनयन अभिषेक की सब व्याख्याएं
सब रचीं आमोद की वाचित अवाचित मधु ऋचाएं
किन्तु इनके पार विस्तृत कल्पनाएं पढ़ सके तो
गीत माला नव सृजन पथ पग धरेगी, याद रखना।

जिन विचारों का उदधि दधि मथ लिया नवनीत मधुरिम
पुनर्मंथन से मिला आसव कहाँ पर्याप्त होगा
उल्लिखित आवृत्तियों से मन प्रफुल्लित हो भले ही
किन्तु क्या प्रारब्ध कविता का अभीप्सित प्राप्त होगा
यदि नवल आभूषणों से काव्य का श्रृंगार होगा
गीत आशातीत कविता दम भरेगी, याद रखना।