Last modified on 13 अप्रैल 2018, at 15:40

संघर्षों में जो जीते हैं / राजकुमार 'रंजन'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:40, 13 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकुमार 'रंजन' |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

संघर्षों में जो जीते हैं
उनका मूल्य अधिक होता है ।
घर में बैठ चुहलबाजी से
जीवन नहीं जिया करता है ।।

कठिन परिश्रम करने वाले
नहीं देखते मुड़ कर पीछे
भाग्य भरोसे रहने वाले
निशि-दिन रहते आँखें मीचे

लिखते स्वयं भाग्य की रेखा
कर्म-कुदाल चलाने वाले
कर्महीन शोसेबाजी से
जीवन नहीं जिया करता है ।

कठिन दौर से जो लड़ते हैं
विपदाओं से कभी न हारे
उनकी धैर्य परीक्षा लेता
रहे टाँकता भाग्य सितारे

श्रम-सीकर के गंगा जल से
देही पुण्य भूमि हो जाती
किन्तु समय की बर्वादी से
जीवन नहीं जिया करता है ।

जो अपनों को आहत करते
वे हारे हैं स्वयं लड़ाई
जिसमें अंह भाव जिन्दा है
उसने शून्य सफलता पाई

जो होता सक्रिय समाज में
वह जन सर्वमान्य कहलाता
केवल कोरी गुटबाजी से
जीवन नहीं जिया करता है ।

अब भी समय शेष है प्यारे !
लिख ले अपनी राम कहानी
कोई ठहरा नहीं जगत में
यह दुनिया है आनी जानी

विषवाणों की नहीं कामना
अमृतत्व का कुंड बसा ले
क्रोध,कर्कशा ,नाराज़ी से
जीवन नहीं जिया करता है ।