♦   रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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हरि गुण गाय,
हरि गुण गाय गोविंद गुण गाय, सुमिरौं सरोसती हरि हरि।
पहिले सुमिरौं धरती धरन को, पहिले सुमिरौं धरती न हो,
जिन पर रची गई संसार,
जिन पर रची गई संसार
हरि गुण गाय गोविंद गुण गाय, सुमिरौं सरोसती हरि हरि।
दूजे सुमिरौं मात पिता को, दूजे सुमिरौं मात न हो,
जिन का कोख लियो अवतार,
जिन का कोख लियो अवतार
हरि गुण गाय गोविंद गुण गाय, सुमिरौं सरोसती हरि हरि।
तीजे सुमिरौं मात सरोसती, तीजे सुमिरौं मात न हो
पूरा अक्षर दिया बतलाय,
पूरा अक्षर दियो बतलाय
हरि गुण गाय गोविंद गुण गाय, सुमिरौं सरोसती हरि हरि।