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मरते हुए इनसान को देखना / शुभम श्री

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उसने तब भी मुझे हैरान अजनबियत से देखा
दया से नहीं कौतूहल से देखा
जितना हो सकता था
निर्मम होकर देखा
जैसे मैं किसी फ़िल्म का कोई सीन हूँ
जो उसकी जागती आँखों के आगे साकार हूँ

मैंने अपनेपन की आख़िरी उम्मीद खोजी
पर उसके हाथ में कैमरा देखा

मैंने ख़ुद को मर जाने दिया
एक बहुत कोमल याद को याद करते हुए

मैंने ख़ुद को दर्ज हो जाने दिया एक साधारण घटना की तरह
खुद्दारी से मरते हुए