Last modified on 5 मई 2018, at 03:51

फ़ासिस्ट-2 / देवी प्रसाद मिश्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:51, 5 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= देवी प्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैंने एक आदमी से कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं तो
उसने कहा कि वह मनुष्य है

मैंने उस आदमी से कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं तो
उसने कहा कि वह शाकाहारी है

मैंने उस आदमी से फिर कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा कि उसके पास आधारकार्ड है

मैंने कहा कि आप कुछ कीजिए आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा कि उसके पास सत्तर फ़ीसदी के
अल्पमत की तुलना में तीस फ़ीसदी का बहुमत है

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा कि असहिष्णुता की शिकायत करने वाला
शाहरुख जैसा महानायक तक
गा रहा है कि रंग दे मुझे रे गेरुआ

मैंने कहा कि आप फ़ासिस्ट हैं
तो उसने कहा — हैंच्चो, अब जो हैं हम ही हैं