भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर घड़ी सुधार देखकर / आर्य हरीश कोशलपुरी
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 8 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आर्य हरीश कोशलपुरी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हर घड़ी सुधार देखकर
पड़ रही दरार देखकर
थक गई है आँख बेसबब
आपका प्रचार देखकर
डाक्टर मरीज़ हो गए
संक्रमित बुख़ार देखकर
दिल दुखी है मन की बात से
आचरण फ़रार देखकर
आपका ये मापदंड भी
राजभर चमार देखकर
क़िस्म क़िस्म के ये हथकंडे
टूटते गंवार देखकर