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वह गा रही है / प्रेमशंकर शुक्ल
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वह गा रही है
अपने अंचल का गीत
- गीत में गूँज रहे हैं :
- स्पंदित पेड़
- मिट्टी की महक
- पानी की मिठास
वह गा रही है
- मगन मन ऎसे
जैसे भेंटी हो
बहुत दिनों बाद
अपनी माँ से।