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सागर के तट तक / राहुल कुमार 'देवव्रत'

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कि असंवाद एक धीमा जहर है
यहाँ धीरे-धीरे मरते जाते हैं सम्बंध
...घुटकर
और बंद हो जाती हैं पड़तालें

क्या तुमने देखा है
कई तरह से चीजों का मरना?

सईं सांझ तुम्हारा आना...जाना
अब नहीं होता

कि चुभना संवेदना की निशानी है
और यह भी कि तुम जिंदा हो

क्या तुम्हें भी महसूस होता है इन दिनों
...चीजों का चुभना?