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जीवन का विश्वास सौंपने जब आओगे / रंजना वर्मा
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जीवन का विश्वास, सौंपने जब आओगे
मुझको अपने पास, हमेशा ही पाओगे
बजे मृत्यु का ढोल, रात दिन जब कानों पर
सुनते ही वह बोल, सहम खुद में जाओगे
करता वक्त पुकार, चलो नित साथ समय के
सके न इसे सँवार, बहुत ही पछताओगे
त्याग गर्व अभिमान, मान यदि दो औरों को
निज इच्छित सम्मान, तभी तुम भी पाओगे
थाम तुम्हारा हाथ, सदा चाहा पथ चलना
छोड़ हमारा साथ, न जाने क्या पाओगे
हँसता नित्य असत्य, सत्य बैठा मन मारे
जिस दिन जीता सत्य, झूठ को ठुकराओगे
हर आँगन में वृद्ध, बाल हों सम सम्मानित
हो कर तुम समृध्द, सुखी भी बन जाओगे