Last modified on 12 मई 2018, at 21:53

जीवन का हर पल है मधुरिम हमने ही कम जाना / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 12 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन का हर पल है मधुरिम हमने ही कम जाना
लिखा हुआ है साँसों का चलते चलते थम जाना

यादें जैसे कठिन समस्या जीना भी मजबूरी
कितना मुश्किल होता है उम्मीदों का जम जाना

अच्छे और बुरे सँग आयें अच्छाई हो भारी
दोनों के मिलने को ही दुनियाँ ने संगम जाना

प्रतिदिन साँसों का आना जाना भी तो है एक छलावा
दुनियाँ सत्य समझती जिस को संतों ने भ्रम जाना

स्वर्ग सदृश संसार कहा करते हैं पैसे वाले
खाया नहीं पेट भर जिस ने उसने ही ग़म जाना

जीवन का पथ एक पहेली कौन इसे सुलझाये
किन्तु इसी उलझन को सारे जग ने परचम जाना

ध्यान लगा कर जिसने जगा लिया अपना अंतर्मन
उस ने मृत्युलोक को सब लोकों से अनुपम जाना