जिसको जग में घनश्याम मिले
उस को न कभी संग्राम मिले
करुणा कर जो बन धीर गया
उसको सब तीरथ धाम मिले
हरि दर्शन की यदि चाह रही
प्रभु दर्शन तो हर याम मिले
रँग ले मन को प्रभु के रँग में
सुषमा जग में अभिराम मिले
यदि प्रीति रही हरि के पग में
शुभ जीवन का परिणाम मिले
प्रभु के पद प्रीति प्रतीति करो
तुम को न कभी विधि वाम मिले
मर स्वर्ग मिले न मिले तुम को
प्रभु पूजन का शुभ काम मिले