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पुरानी यादें-5 / मनीषा पांडेय

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पुराने छोटे पड़ गए कपड़ों की तरह

बंद कर किसी जंग खाए संदूक में

पुरानी यादों को

कहीं दूर छोड़ आऊँ

इतनी दूर

कि पहचानकर मेरा संदूक

कोई वापस न छोड़ जाए मेरे दरवाज़े