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पुरानी यादें-6 / मनीषा पांडेय

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घर के गर्दो-गुबार की तरह

सूरज उगने से पहले

बुहारकर निकाल दूँ

सारे बीते दिन

गुजरी हुई यादें

इतनी दूर

कि हवा के साथ उड़कर वापस न आ सके