Last modified on 16 मई 2018, at 08:40

अमृतरस/ कविता भट्ट

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:40, 16 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कविता भट्ट |संग्रह= }} Category:चोका...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


ये आलिंगन
हमारे नयनों के
अमृतरस,
मैं आकण्ठ निमग्न
हर्षित मन
उद्वेलित-सा तन।
चलचित्र -से
घूमे मेरी स्मृति में
वे संस्मरण,
पुनः प्रियवर का
मिला सरस,
निश्छल आमंत्रण,
मूक अधर
आशा अनुगुंजन
प्रेम का निबन्धन ।