उर्दू बिन्दु
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | ब्रजभाषा |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित ग़ज़लें
- कूचये दिलदार से बादे सवा आने लगी / प्रेमघन
- अपने आशिक पर सितमगर रहम करना चाहिए / प्रेमघन
- मेरी जान ले क्या नफ़ा पाइएगा / प्रेमघन
- जो तेगे निगाह वह चढ़ाए हुए हैं / प्रेमघन
- अजल भी नहीं आती है खौफे़ से याँ / प्रेमघन
- दिल को तो लूट लिया करते हैं / प्रेमघन
- बगरजे कत्ल गर शमशीर अवरूवी उठाते हैं / प्रेमघन
- ऐ सनम तूने अगर आँख लड़ाई होती / प्रेमघन
- तेरे इश्क में हमने दिल को जलाया / प्रेमघन
- पड़ै न बल बाल-सी कमर पर / प्रेमघन
- पहाड़ ढाहैं हमारी आहैं / प्रेमघन
- अजब दिलरुबा नन्द फ़रज़न्द जू है / प्रेमघन
- बन में वह नंद नंदन बंसी बजा रहा है / प्रेमघन
- हमने तुमको कैसा जाना तुमने हमको ऐसा माना / प्रेमघन
- ए दिलबर दिल कर दीवाना / प्रेमघन
- अब कैसा घाई बतलाना॥ / प्रेमघन
- क्या सोहै सीस पर तेरे दुपट्टा धानी / प्रेमघन
- किस गोकुल के दिलवर की यादगारी है / प्रेमघन
- है इश्क बुरा जंजाल मेरे ऐ प्यारे / प्रेमघन