भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मांयलो अमूजो / मोहम्मद सद्दीक

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:33, 29 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झीणी झीणी
मुल मुल सरीसै
मुलायम मिनखाचारै नै
बीड़ सरीसी झीड़ भरै सैरां में
आंख फोड़, अकडोडिया
धतूरां अर बंवळियां रै
सागै रैणो पड़सी
किनखै हाळी चादर ज्यूं
मानखो
झाड़का ऊं झूरड़ीज‘र सुरड़ीज‘र
कितराक दिन चालसी
बांठकां रै ऊपर नाख्योड़ै
मुलायम बटकै रै
खांपो तो लाग ही सी।
आंगणै रो अमूजो
धरती पर
झम्पोड़ बण‘र फूटसी
बारलो मौसम
मांयलै अमूजै री
रोकथाम करण
कद आडो आयो
कद आडो आसी।
आरसी देखणै री धारसी
देखसी आंगणै रो मूंडो
नूंतसी आपरै आपै पर
अण गिणती री तेड़ां
अर तिड़क्योड़ो आरसी
बणसी बगत रो
मूंडै बोलतो इतिहास।