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द्रुपद सुता-खण्ड-37 / रंजना वर्मा

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उपसंहार :-

केशव की करुणा की महिमा निराली ही है
उसी ने बचाया आज सत्त्व, शत जय जय।
जननी जगत की है धात्री, जगपालिका है
कामिनी हैसबलासशक्त, शत जय जय।
विद्युत-लता सी तड़िता को हैं नमित सब
मानगयेसती का महत्त्व, शत जय जय।
देवोंनेबरसदियेपुष्प अंजलीमेंभर
बोल उठे सभा के सदस्य, शत जय जय।।