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मुक्तक-27 / रंजना वर्मा
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न केवल प्यार की बातें लिखो तुम
तनिक संसार की बातें लिखो तुम।
जमाने में हजारों मुश्किलें हैं
गमों के भार की बातें लिखो तुम।।
पिया से मिलन की मधुर चाह में
दिया मैं जलाती रहूं राह में।
सितारे गगन में चमकते रहें
सदा आस खिलती रहे आह में।।
निराशाघन घिरे साथी
नयन जल भी झरे साथी।
समय करवट बदलता है
न दिन लेकिन फिरे साथी।
गली गली में मच रही, संसकार की धूम
आगे योगी जी चलें, पीछे चले हुजूम।
अनुशासन आदर्श का, पढ़ा रहे हैं पाठ
है विकास रथ चल पड़ा, चक्र रहे हैं घूम।।
आज सभी संकल्प लें, करें सदा शुभ काम
न्यौछावर सर्वस्व हो, मुख में सीता राम।
ऐसा यत्न करें सभी, तन मन जीवन स्वच्छ
सुखी रहे सारा जगत, जग में भी हो नाम।।