भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आठ हाइकु / कोबायाशी इस्सा / सौरभ राय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 20 जून 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कोबायाशी इस्सा |अनुवादक=सौरभ राय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक विशाल दादुर और मैं,
देखते एक दूसरे को,
निस्तब्ध।
गर्मी की रात –
तारों के बीच
कानाफूसी।
हवा से गिरे –
लाल रंग के फूल
उसे पसन्द थे।
मत भूलो –
हम नरक से गुज़रते हैं
फूलों को निहारते हुए।
खिली चेरी की छाया में
अपरिचित
कोई नहीं।
अपनी पतंग से लिपट
गहरी नींद में जाती
बच्ची।
सबसे लम्बा जीवन
हम सबसे लम्बा जीवन
इस कठोर शरद का!
हलकी बर्फ़ –
एक कुत्ता खोदता
सड़क को।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय