भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:04, 16 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=अनुभूत क्षण / महेन्द्र भटनागर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर आगत पल का
स्वागत है !

मेरे हाथ पकड़
उठता है दिन,
मेरे कंधों पर चढ़
बढ़ता है दिन !

मेरे मन से
अभिनव रचना
करता है दिन,
मेरे तन से
सृष्टि नयी
गढ़ता है दिन !

लड़ मेरे बल पर
जीता है दिन,
क्षण-क्षण मेरे जीने पर
जीता है दिन !

मेरी गति से
सार्थक होता काल अमर,
मैं ही हूँ
अविजित अविराम समर,

मेरे सम्मुख हर
पर्वत-बाधा नत है,
हर आगामी कल का
स्वागत है !