Last modified on 23 जून 2018, at 14:32

तरही ग़ज़ल / दिलावर 'फ़िगार'

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:32, 23 जून 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिलावर 'फ़िगार' |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुशाइरे के लिए क़ैद तरह की क्या है
ये इक तरह की मशक़्क़त है शायरी क्या है

जो चाहते हैं कि मैं तरह में ग़ज़ल लिक्खूँ
उन्हें ख़बर ही नहीं मेरी पॉलिसी क्या है

ग़ज़ल जो तरह में लिक्खी है किस तरह लिक्खी
ये पूछने की किसी को अथॉरिटी क्या है

ग़ज़ल की शक्ल बदल दी है ऑपरेशन से
सुख़न-वरी है अगर ये तो सर्जरी क्या है

मैं जब ग़ज़ल में गुलिस्ताँ का ज़िक्र करता हूँ
वो पूछते हैं गुलिस्ताँ की फ़ारसी क्या है

ग़ज़ल के बदले अगर कुछ मुआवज़ा मिल जाए
मैं सोचता हूँ तो फिर शायरी बुरी क्या है

मिरी ग़ज़ल में तख़ल्लुस किसी का फ़िट कर दो
तख़ल्लुसों की भी इस शहर में कमी क्या है