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पूजूँ पदमण पांव / मानसिंह राठौड़
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राजा मोटो राजवी, रतन कहीजै नांव ।
जां सँग फेरा खाविया,पूजूँ पदमण पांव ।।
सतियाँ सत थे राखियो, भलो कमायो नांव ।
सरगां माय सराविया,पूजूँ पदमण पांव ।।
कर जोड़ करै वीणती, गावै सगळो गांव ।
एकार आवो आंगणे,पूजूँ पदमण पांव ।।
आंख्यां केरो आसणो,पलकां तणी'ज छांव।
एकण देस'म अवतरे,पूजूँ पदमण पांव ।।
पदमन रतन परणिजै,गरब तणो गठजोड़ ।
सत राखण होवै सती,हुवै न पदमन होड़ ।।
चावो गढ़ चित्तोड़ रो,मेवाड़ तणो मांण ।
परम नाम परमेसरी,पदमन कियो प्रयाण ।।
इज्जत हाथां आपरी,राखी रूड़ी राय ।
सती सरगां सिधारगी,पदमन पावक पाय ।।
पदमण तूँ परमेसरी,ममतायी तूँ माय ।
बळ सत मान बढावियो,अवनी ऊपर आय ।।
मेवाड़ धरा(रा)मानवी,गुण पदमण रा गाय ।
सतियां सत थे राखियो,अवनी ऊपर आय ।।