Last modified on 16 जुलाई 2008, at 23:11

कारगिल-प्रयाण पर / महेन्द्र भटनागर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 16 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=अनुभूत क्षण / महेन्द्र भटनागर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर जवानो !
दुश्मन के शिविरों पर चढ़ कर भारी प्रलय मचा दो,
मातृभूमि पर बर्बर हत्यारों की बिखरें लाशें
तोपों के गर्जन-तर्जन से दुश्मन को दहला दो !