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चांदनी का टीला / कुमार मुकुल
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चांद को देखते हुए
मैं तय ही नहीं कर पाता
कि खुश हूँ या उदास
झुंझलाहट में
पास खड़े बच्चे से पूछता हूँ
बता तो चांद कहाँ है
पहले वह अपनी छाया देखता है
फिर इशारा करता है आकाश की ओर
और ज़मीन पर उभरे चांदनी के टीलों को दिखाता है
तब मुझे लगता है
कि चांद की बात करते हुए हम
चांदनी में डूबी चीज़ों की बात करते हैं।