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धूसर बुदबुद-सा / कुमार मुकुल
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शाम की बस
चढ़ रही थी फ्लाईओवर पर
चारों ओर फैले
धूल व धुएँ के अम्बार के पार से
दिल्ली द्वीप को देखता
एक धूसर बुदबुद-सा
डूब रहा था सूर्य
मेरे भीतर।