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बुद्धू / शंख घोष / प्रयाग शुक्ल

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कोई हो जाये यदि बुद्धू अकस्मात, यह तो
वह जान नहीं पाएगा खुद से। जान यदि पाता यह
फिर तो वह कहलाता बुद्धिमान ही।

तो फिर तुम बुद्धू नहीं हो यह तुमने
कैसे है लिया जाना?

मूल बंगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल
(हिन्दी में प्रकाशित काव्य-संग्रह “मेघ जैसा मनुष्य" में संकलित)