भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 26 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:18, 26 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नान्हीं कांकरी
उठा देवै तूफाण
पाणी रै मन
बंदूकां झालै
बै हाथ जिका कनैं
रोटी ना काम
सारो विकास
सभ्यता‘र संस्कृति
पेट रै पाण