भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 30 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:22, 26 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बा‘रै घणाई
थाप दिया मिन्दर
मन में थाप
ठंडी चांदणी
सूरज सूं मांगोड़ी
थोड़ी सी धूप
महाज्ञान हां
मार रैया कन्यावां
खुद रै हाथां