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हाइकु 39 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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प्रेम रा तार
जोड़ देवै जीवण
तीनूं लोक सूं
रूंख री डाळ
नीं काटै दूजी डाळ
पण मिनख?
देखूं खुद नैं
काच में अर पूछूं
कुण हूं रै म्हैं ?