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हाइकु 57 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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ऊंचा मकानां
रै‘रया बड़ा लोग
ओछै मनां रा


जीवण-मौत
लै‘रर पाणी
नीं हुवै जुदा


बैठावां जां नैं
सिंघासण, बणै बै
रावण कंस