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हाइकु 69 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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मैणबत्ती री
नियति पिघळणो
चिंता कायंरी
धिन्न बा राख
रगड़‘र उजाळै
मैला पात्रां नैं
मन-कपट
जीभ-कूड़, पण लां
साच रो नांव