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हाइकु 76 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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घर-घर री
चिपोड़ी भींतां पण
मिनख-जुदा
कठै है आभो
भरम है मन रो
झुकै डरतो
जद ई आवै
लाडलै री याद, मां
पावस जाय