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हाइकु 81 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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गूंजै प्रभाती
राम मिंदरां मांय
नैड़ा चुणाव
मन साहस
पंखां पर बिस्वास
मंजिल पास
घोर अंधार
बादळां रा अम्बार
बो तारो हंसै