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हाइकु 109 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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मूंगै सूं मूं‘गै
जूते री नीं रै पूछ
दूजौ गमियां
भाठै रै मन
कठै न कठै बसै
प्रेम रो कण
झुंड में उडै
मस्ती भरियां पंछी
अेकलो है थूं