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हाइकु 120 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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जबान नईं
पूंछ हिलाणो सीख
सै सुख मिलै
पाळोड़ा पंछी
उडै आंगण छोड़
पूठा नीं आवै
थिर तणाव
कठै गुमगी हंसी
ई नगर री