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हाइकु 128 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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ताजमहल
मांय ई हुय रैयी
प्रेम री हत्या
मिंदरा मांय
है सोने रा अम्बार
गरीब भूखा
घड़ी री सूयां
करावै काळ-बोध
किता‘क चेतै?