भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 129 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:29, 27 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हाथ‘र पग
माथो‘र मन सै है
फेर गरीब?
धर्म रा पोथा
जुगां-जुगां पढिया
मानखो पढ
आभो बणनो
कितो दौरो हुवै है
पूछ आभै नैं