राजनीति का दोहा / लोकेश नवानी
साँचा:KKCatGadhwaliKavita
अजब-गजब माया तेरी धन त्वेकू सरकार।
सबसे बड़ु ठग आज कू बैठ्यूं ऐंच अफार।। 1।।
हे काणा उडणू छई ऐंच ऐंच असमान।
मगर याद रख एक दिन तिन जमीन पर आण।। 2।।
लोकतंत्र की छ्वीं अजब समझ नि सकदा राम।
छिपड़ा नाग राजा बण्यां यख जनता का नाम।। 3।।
शनी-शकुनि कट्ठा हुयां छम्ना छोरि का घार।
भैजी अब ये राज कू होलू कनै उयार।। 4।।
काणा सिंटुला गरूड़ सबी एैगिन एकी मंच।
कख जी जाली घिंडुड़ी अब करणा छल परपंच।। 5।।
गुरौ गिगाड़ रज्जा छन सिपै ट्योट्या अर बाज।
जौं माछ्यूं पर बाच नी करणा उळु पर राज।। 6।।
ठंड्युंद एक गिगाड़ चा ढुंगम एक गुराउ।
डाल मा एक चिलांग चा माछु कनै जी जाउ।। 7।।
ठेकेदारी चकड़ैतु की बणगिन पंच पदान।
गलेदारू कू फैसला लाटा मनण लग्यांन।। 8।।
खै नी सोटगी चटाग खै नी कबी भताग।
मालिक बणगिन राज का चांण-बाण हे राम।। 9।।
जौंन तचै नी मुंड कबी जौन नि भुगता घाम।
वो सर्यूल फुंद्या बण्यां या कनि माया राम।।10 ।।
राजमंत्री छन बण्यां गूणी बांदर स्याल।
जौंन लड़ै लड़ि छै कबी फोड़णा अपणु कपाल।।11 ।।
देशभक्ति आदर्श अर सिद्धांतों की बात।
कुरसी मिल्दै हर्चि गे बचीं खुचीं मनख्यात।। 12।।
चुप छन बदरीनाथ जी चुप बाबा केदार।
देबतों की यीं धर्ति मां घुंड-मुंड भ्रष्टाचार।।13।।
लपट्यां भ्रष्टाचार मा जैका खुट्टा हाथ।
पर कनि मजबूरी च हम देणा वेको साथ।।14।।
रामनाम की लूट मा मतलब करणा सिद्ध।
जो नि पूछा कुकरुन कब्बी ह्वे ग्यीं भौत प्रसिद्ध ।।15।।
जय जय हो सरकार जी करणा रोज सलाम।
आजादी का बाद भी छैं छिन बच्यां गुलाम।।16।।
जख च शैत सब छन वखा कीड़ा किरमोला चोर।
बाघ रिक्क ठगतितर सबी सिंटुला मिंडका चकोर।।17।।
रग-ठग चोर चपार सबी बणगिन यार तंगार।
सदनि मलै वो खांद रैं हुंया कैकि सरकार।। ।18 ।।
घटकै बोतल ठाठ से चटकै बोक्टै डौणि।
खाण पेण वला एक छन क्या बांदर क्या गोणि।। ।19 ।।
घात लगै बैठीं च वा लिंडर्या छोरा की खोज।
जमनु क्वी बि रै हो मगर फंसदु वी च हर रोज ।। ।20 ।।
कैरिकी सफाचट सार पुटगि भोरि तणसट्ट।
ह्वेनी गूणी कुरसेला थूक लगै खलपट्ट।। ।21 ।।
छम्ना छोरि का संग दिखे चकाचुन्दरी बल ब्यालि।
लाल बत्ति खुण छन कनीं निरबै आली-जालि।। ।22 ।।
बाघ कुकर पर चल्दु नी ये निरबै कू रोब।
निरबै ढाडू पोड़िगे अब घुघत्यूं की दोब।। ।23 ।।
पुजे गेनि राहू शनी भुतड़ा भूत खबेस।
थरपिन जैल ये दैंत सबी पूछु नि कैल महेस।। ।24 ।।