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कैमा बोन क्या देस का / लोकेश नवानी

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कैमा बोन क्या देस का ये आज मालिक राम ह्वेग्यीं
मांगणी पांणी फसल चा पर चटक का घाम ह्वेग्यीं।
चैछोड़ी होणी तरक्की देस बि अगनै च जाणू
लोग छन की भूखा नांगा मुल्क मां अब आम ह्वेग्यीं।
ग्याड़ु काका साब ह्वेगी सब करा जैकी सलामी
बिन कर्यां बिन योग्यता का देखल्या सब काम ह्वेग्यीं।
कख रयां केदार बदरी लोखु का तीरथ चुचाओ
मंत्रि द्यबता ये जमाना वूंकि कोठी धाम ह्वेग्यीं।
हम छया सब एक पैली बल बिदेस्यूं का खिलाफ
जब लड़ै ह्वेगे खतम ता अब भितर ही लाम ह्वेग्यीं।
छै पुराणों की बिरासत अर छया अवशेष जो कुछ
ल्हीगिना कुछ लोग लूटी और कुछ नीलाम ह्वेग्यीं।