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जनाब नज़्म आफंदी / हुस्ने-नज़र / रतन पंडोरवी
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आप के कलाम का मजमूआ फर्शे-नज़र मुझे मिला, आप ने इस की इशाअत से उर्दू की बक़ा और तरक़्क़ी की जद्दोजहद में एक रौशन इज़ाफ़ा किया है। ज़बान-ओ-बयान और मआनी -ओ-मतालिब के ऐतबार से हर शेर आप की क़ुव्वते-फ़िक्र व कुहना मशकी की दलील है।