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तिरंगा / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

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मेरे वतन की शान तिरंगा निशान है
ये देश वासियों की हसीं दास्तान है

ये माउंट ऐवरेस्ट पे जल्वा फिगन हुआ
ये कारिगल में पहुँचा तो शाने-वतन हुआ

इस में निहां हैं ख़ूने-शहीदां की शौकतें
और सब्ज़ खेतियों की हैं इस में तरावतें

इस में सचाई और महब्बत का रंग है
चक्कर अशोक का भी यहां अंग संग है

तेरी निराली शान है ऊंचा तिरा मक़ाम
मेरे वतन की शान तिरंगे तुझे सलाम।