भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परिवर्तन / गरिमा सक्सेना

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 18 अगस्त 2018 का अवतरण (Rahul Shivay ने परिवर्तन की चाह / गरिमा सक्सेना पृष्ठ परिवर्तन / गरिमा सक्सेना पर स्थानांतरित किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

परिवर्तन की चाह
कर रही है परिवर्तन

जबसे कुर्सी मिली
भूलकर वादे सारे
नव सपने बन गए
पुराने के हत्यारे
झूठ दिखाना सीख
गया फिर मन का दर्पण

सागर में मिल गई
नदी की जबसे घारा
सागर सा हो गया
नदी का पानी खारा
रहा प्यास में कहाँ
नदी का अब आकर्षण

जिनका किया विरोध
उन्हीं को फिर अपनाया
बँटे हुए को बांट-
बांट सबको दिखलाया
खोज लिया परिवर्तन का
फिर से इक साधन