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सुब्ह भेजा है शाम भेजा है / ईश्वरदत्त अंजुम

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सुब्ह भेजा है शाम भेजा है
हम ख़त उनके नाम भेजा है

देखिये किस का हो सलाम क़ुबूल
हर नज़र ने सलाम भेजा है

उसने देखा है यूँ मिरी जानिब
जैसे पुरकैफ जाम भेजा है

सोज़ो-ग़म कुल जहान का उस ने
मेरी रातों के नाम भेजा है

देख कर उनकी खुशी खिरामी को
रास्ते ने सलाम भेजा है

मैं वो राही हूँ जिसको ऐ अंजुम
मंज़िलों ने सलाम भेजा है