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सलामत हर तरह ईमान रखिये / शोभा कुक्कल
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सलामत हर तरह ईमान रखिये
अलग ही आप ऊनी शान रखिये
हो लहजा नर्म चेहरा शांत बेशक
मगर सोचों में इक तूफ़ान रखिये
जो चाहे दम कभी घुटने न पाए
घरों में मुख़्तसर सामान रखिये
ग़मों की भेंट चढ़ जाये न सब कुछ
बचा कर कुछ न कुछ मुस्कान रखिये
अगर लेखक हो तो अपने नगर में
बना कर अपनी कुछ पहचान रखिये
कहीं भूखा तो वो सोता नहीं है
पड़ोसी का भी अपने ध्यान रखिये
हमें भी आपकी क़ुर्बत है प्यारी
हमें भी चार दिन मेहमान रखिये।