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पिड़ा की बोटिं राई अंग्वाळ दगिड़्या / शिवदयाल 'शैलज'

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पिड़ा की बोटिं राई अंग्वाळ दगिड़्या
सुखै निन्द कबि नि पिर्वाळ दगिड़्या

फूलूं भेटणू अयीं छै प्वतळी
लीगीं सदनि कु जग्वाळ दगिड़्या

दिन मां रंग लेकि अयीं छै होरी
राति नि आई बग्वाळ दगिड़्या

गौं मा मंगणु छौ बल माया-भीख
मीम् नि ऐ वो फिक्वाळ दगिड़्या

नाड़ी वैद बणि मी कु वो ’शैलज’
जौंन पिलौ बि नि ठसवाळ दगिड़्या