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मेरे पाँव / कुमार मुकुल
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चेतना की गुंजलकों को
तलुओं में छुपाए
ये मेरे पाँव हैं
अंधेरी राहों में जब
मेरी सहमी आत्मा
पीछे छूट जाती है
सबसे पहले
ये ही उठाते हैं क़दम।