भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुट्टी / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:57, 8 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाछ पर देखियौ
दूभि पर देखियौ
फूल पर देखियौ
घर पर देखियौ
आँगनमे देखियौ
छत पर देखियौ
मैदानमे देखियौ
पहाड़ पर देखियौ
रेगिस्तानमे देखियौ
जेरक-जेर धारीमे चलैत चुट्टी।

चुट्टी
दिन-राति उघैत रहैत अछि
अन्नकण
मनोयोगसँ लागल रहैत अछि
काज करबामे
घर-गृहस्थी
सम्हारबामे।